‘किताबों के प्रति दीवानगी’ पटना पुस्तक मेला 2015: (रविशंकर)

बहुरंग रिपोर्ताज

रविशंकर 486 11/17/2018 12:00:00 AM

एक ऐसे समय में जब चारों तरफ़ बाज़ार का शोर अपने चरम पर है, और एक से बढकर एक मंहगी और विलासी चीज़ों का प्रलोभन दे, लोगों के मन पर हमले कर रहा है ! शहर के हृदय स्थल(गांधी मैदान) पटना, में पुस्तक मेले का आयोजन खासा महत्व रहता है…! ऐसे दौर में जब इन्टरनेट के ज़रिये लोगों तक सारी चीज़ें घर बैठे पहुंच रही हैं किताबों के प्रति इतनी दीवानगी सुकून देती है…!युवा रंगकर्मी एवं पटकथा लेखक ‘रविशंकर’ की रिपोर्ट ….. | – संपादक

‘किताबों के प्रति दीवानगी’ पटना पुस्तक मेला 2015 

 

ravishankar

रविशंकर
युवा रंगकर्मी एवं पटकथा लेखक
दर्जन भर नाटकों में अभिनय
“डी.डी-१” के लिए “क्यों अपने हुए पराये”, “पूर्वा सुहानी आई रे”, “तुलसी मोरे अंगना”, धारावाहिक के संवाद लेखन
ज़ी टीवी पर प्रसारित हो चुके “दो सहेलियां किस्मत की कठपुतलियां” का विषय-वस्तु और महुआ पर प्रसारित हो चुके “सेनूर-मांग-टिकुली” धारावाहिक का पटकथा लेखन |
09431204359

मेले से भारतीय समाज का बहुत ही पुराना और भावनात्मक रिश्ता रहा है ! लोग मेले का इंतज़ार और घूमने की तैयारी बड़े चाव से करते हैं…! बिहार भी अपने मेलों के लिए खासा प्रसिद्ध है ! हरिहर क्षेत्र के सोनपुर मेले को लेकर जितना उत्साह आम जन में होता है, “CRD पटना पुस्तक मेला” को लेकर उससे कम उत्साह बुद्धिजीवी वर्ग में नहीं होता…!

पढेगा बिहार तो बढेगा बिहार ! इस स्लोगन के साथ शुरु हुआ पटना पुस्तक मेला १२ दिनों तक प्रदेश को अपनी ओर आकर्षित करता रहा ! पटना पुस्तक मेला अपनी खासियतों कि वजह से बिहार की एक पहचान के तौर पर उभरा है ! जिसकी धूम बिहार से बाहर पूरे देश में है ! यह सिर्फ़ पुस्तक मेला ही नहीं बल्कि एक “सांस्कृतिक-उत्सव” का रूप है ! जहां किताबों के अलावा तमाम सांस्कृतिक गतिविधियों का संगम देखने को मिलता है ! इस बार मेले के सभी द्वार और ब्लाक्स के नाम नदियों पर रखे गये थे, जैसे –गंगा मुख्य द्वार, सोन प्रशासनिक भवन, गंडक सभागार एवं कोशी मुक्ताकाश मंच इत्यादि ! तमाम सांस्कृतिक गतिविधियों को अपने में समेटे “कोशी मुक्ताकाश मंच” इस मेले का खास आकर्षण रहा ! हर दिन इस मंच से कभी कहानी, कविता,उर्दू मुशायरा तो कभी गीत-संगीत एवं नृत्य का कार्यक्रम तो कभी समसमायिक मुद्दे पर बात –चीत होते रहे…! अमिताभ पाण्डेय द्वारा जापानी कहानी “तोत्तो चान” का पाठ इस मेले का खास आकर्षण रहा ,तो प्रसिद्ध आलोचक नंद किशोर नवल के साथ अभिनेता जावेद अख्तर खां की बात-चीत भी खूब पसंद की गई ! साथ ही हिन्दुस्तान के संपादक शशि शेखर से  live india के संपादक संजीव पालीवाल की बातचीत की भी खूब चर्चा रही…! मेले में कई पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ जिसमें अवधेश प्रीत की “चांद के उस पार चाभी”,विकास कुमार झा की “वर्षावन की रूपकथा”,रत्नेश्वर की “मैज़िक इन यू”, अरूण श्रीवास्तव की “माओनिज़्म इन इंडिया”, शशिकांत मिश्रा की “नान रेज़िडेन्ट बिहारी”, रवीश कुमार की “इश्क में शहर होना”, गिरीन्द्रनाथ झा की “इश्क में माटी-सोना”, डा. ध्रुव कुमार की “नीतीश-गाथा” और संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर की समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा से बातचीत पर आधारित पुस्तिका “वर्तमान विकास में मुक्ति के प्रश्न” प्रमुख थी !

समसामयिक मुद्दों से रू-ब-रू करवाते नुक्कड़ नाटक इस मेले के जरूरी अंग हो गये हैं ! हर रोज़ एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन मेला परिसर में होता था जिसे लोग बहुत ही मन से देखते थे ! एक साथ तमाम पीढी के लोग ! खास कर वैसे स्टूडेन्ट्स जो पढाई और कोचिंग की आपा-धापी में नाटक जैसी चींज़ों से दूर ही रह जाते हैं, उन लोगों को नाटक से जुड़ना बहुत ही अच्छा लग रहा था ! जिसमें ट्रैफ़िक एस.पी प्राणतोष कुमार दास की “ड्रीफ़्टउड आर्ट” की मूर्तियां चार चांद लगा रहे थे…!

‘किताबों के प्रति दीवानगी’ पटना पुस्तक मेला 2015: (रविशंकर)जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि इस मेले का एक सांस्कृतिक महत्व है ! नई पीढी को सांस्कृतिक चेतना से लैश करना हमारे लिए बहुत जरूरी है ,वो काम ये पुस्तक मेला बा-खुबी कर रहा था ! इतना ही नहीं साहित्यकारों, पत्रकारों और संस्कृतिकर्मियों के लिए तो ये मेला संगम-स्थल बना रहा ! देश के नामी-गिरामी साहित्यकार , संस्कृतिकर्मी और पत्रकार लोग इस मेले की शोभा बढा रहे थे! जहां एक ओर केदारनाथ सिंह, आलोकधन्वा, अरूण कमल,अवधेशप्रीत,नंदकिशोर नवल,संजय कुंदन, राकेश रंजन, संजय कुमार कुंदन, प्रेम भारद्वाज, गीता श्री जैसे साहित्यकार थे तो दूसरी ओर अरूण श्रीवास्तव, नवेन्दु, एस.पी. सिंह, संजय कुमार, जैसे पत्रकार और मिडिया के लोग ! हिन्दुस्तान की साझी विरासत की संस्कृति को साकार करता ये पुस्तक मेला अपने आप में अनोखा है और मन को सुकून देता है !

dsc_9691CRD पटना पुस्तक मेला पिछले कई सालों से रंगकर्म, पत्रकारिता,पेंटिंग और साहित्य के क्षेत्र में युवा लोगों को पुरस्कृत करते आ रहा है ! इस बार रंगकर्म में बेहतर योगदान के लिये बुल्लु कुमार को “भिखारी ठाकुर पुरस्कार”, पत्रकारिता में बेहतर योगदान के लिये मारिया शकील को “सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुरस्कार”, पेंटिंग में अजित शर्मा को “यक्षिणी पुरस्कार” तथा साहित्य में अर्चना राजहंस मधुकर को “विद्यापति पुरस्कर” से पुरस्कृत किया गया ! सभी को पटना के जानेमाने होमियोपैथ चिकित्सक डा. बी भट्टाचार्या ने अपने हाथों से पुरस्कार दिये !

एक ऐसे समय में जब चारों तरफ़ बाज़ार का शोर अपने चरम पर है, और एक से बढकर एक मंहगी और विलासी चीज़ों का प्रलोभन दे, लोगों के मन पर हमले कर रहा है ! शहर के हृदय स्थल(गांधी मैदान) में पुस्तक मेले का आयोजन खासा महत्व रहता है…! ऐसे दौर में जब इन्टरनेट के ज़रिये लोगों तक सारी चीज़ें घर बैठे पहुंच रही हैं किताबों के प्रति इतनी दीवानगी सुकून देती है…! वैसे बिहार अपनी साहित्यिक रूचियों के लिये काफ़ी प्रसिद्द है…! आज भी पूरे देश में सबसे ज्यादा साहित्यिक गतिविधी वाला प्रदेश बिहार को माना जाता है…! रंगकर्म में आज जितने लोग पटना में सक्रिय हैं उतने अन्य किसी राज्य में नहीं …! यही बिहार की ताकत और पहचान है…! तमाम अभाव और पिछड़ेपन के बावजूद ज़िन्दगी के प्रति इसका लगाव कभी कम नहीं होता…! सीखने और जानने –समझने की ललक कभी फ़ीकी नहीं होती…! यही कारण है कि देश जब भी मुश्किल दौर से गुजरा बिहार ने हमेशा उसे संभाला और दिशा दी है…!

dsc_9692इस शहर को एक सांस्कृतिक माहौल देने के लिए CRD और पुस्तक मेले के आयोजकों खास कर युवा साहित्यकार रत्नेश्वर को बधाई…! जिनके प्रयास से ये पुस्तक मेला ,सिर्फ़ पुस्तक की खरीद-फ़रोख्त की जगह से ऊपर उठकर एक सांस्कृतिक मेले के तौर पर अपनी पहचान बनाने में सफ़ल रहा है !  साथ ही कुछ सुझाव ! मुझे याद है पहले जब हम पुस्तक मेले में आते थे तो इतनी जगह होती थी कि कहीं भी बैठकर चिनियाबादाम खा लेने थे, अब जगह कम होती जा रही है…! इस पर ध्यान देने की जरूरत है ! साथ ही अगर मुख्य मंच पर आगे से कुछ समसामयिक मुद्दे पर डाक्यूमेंट्री फ़िल्म भी दिखाई जाए तो अच्छा होगा ! अंत में “पटना पुस्तक मेला” जल्द ही अपने २५वें साल में प्रवेश करे इसकी शुभकामनाएं !

रविशंकर द्वारा लिखित

रविशंकर बायोग्राफी !

नाम : रविशंकर
निक नाम :
ईमेल आईडी :
फॉलो करे :
ऑथर के बारे में :

अपनी टिप्पणी पोस्ट करें -

एडमिन द्वारा पुस्टि करने बाद ही कमेंट को पब्लिश किया जायेगा !

पोस्ट की गई टिप्पणी -

हाल ही में प्रकाशित

नोट-

हमरंग पूर्णतः अव्यावसायिक एवं अवैतनिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक साझा प्रयास है | हमरंग पर प्रकाशित किसी भी रचना, लेख-आलेख में प्रयुक्त भाव व् विचार लेखक के खुद के विचार हैं, उन भाव या विचारों से हमरंग या हमरंग टीम का सहमत होना अनिवार्य नहीं है । हमरंग जन-सहयोग से संचालित साझा प्रयास है, अतः आप रचनात्मक सहयोग, और आर्थिक सहयोग कर हमरंग को प्राणवायु दे सकते हैं | आर्थिक सहयोग करें -
Humrang
A/c- 158505000774
IFSC: - ICIC0001585

सम्पर्क सूत्र

हमरंग डॉट कॉम - ISSN-NO. - 2455-2011
संपादक - हनीफ़ मदार । सह-संपादक - अनीता चौधरी
हाइब्रिड पब्लिक स्कूल, तैयबपुर रोड,
निकट - ढहरुआ रेलवे क्रासिंग यमुनापार,
मथुरा, उत्तर प्रदेश , इंडिया 281001
info@humrang.com
07417177177 , 07417661666
http://www.humrang.com/
Follow on
Copyright © 2014 - 2018 All rights reserved.