शातिर आँखें: एवं अन्य कविताएँ (डॉ० मोहसिन खान ‘तनहा’)

बहुरंग स्मरण-शेष

डॉ0 मोहसिन खान 'तनहा' 491 11/17/2018 12:00:00 AM

इंसानी हकों के उपेक्षित और अनछुए से पहलुओं के मानवीय ज़ज्बातों को चित्रित करतीं ‘डॉ० मोहसिन खान ‘तनहा’ का कवितायें

शातिर आँखें 

डा0 मोहसिन खान ‘तनहा

कई जगह, कई आँखें
पीछा कर रही हैं आपका
क़ैद कर रही हैं आपके फ़ुटेज
जमा कर रही हैं
आपकी सारी हरकतें।
ये शातिर आँखें
इतनी भीतर पहुँच गई हैं कि
कोई भी जगह अब मेहफ़ूज़ नहीं
यहाँ तक कि सुरक्षित क़ब्र भी नहीं।
किसी होटल के कमरे, बाथरूम
अब सुरक्षित नहीं,
जड़ दी गई हों
वहां भी कई छुपी आँखें,
एक डर लगातार
मंडरा रहा है आसपास
कब किसे डस ले
ये नहीं मालूम।
इन ही आँखों से क़ैद हुई हैं
प्यार में पागल कई लड़कियाँ,
जिन्होंने बिना सोचे, समझे
जताया था भरोसा अपने प्रेमी पर
उनको पता ही नहीं कि
(पता न हो तो ही अच्छा)
उनको कितनी आँखें देख रही हैं
अपने मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन पर,
क्योंकि अब वो पोर्न क्लिप का हिस्सा हैं।

याद दिला दूँ  

साभार google से

एक-एक करके ख़ाली होती जा रही हैं जगहें
और भरती जा रही हैं,
वो ख़ाली जगहें
दूसरी चीज़ों से,
मेरे घर का नक्शा कब बादल गया
मुझे पता ही न चला!
आज जब ढूँढने लगा चीज़ें
तो पता चला कि
उन चीज़ों के साथ
मेरी भाषा का नक्शा भी बादल गया है!
मुझे नहीं मिलता किसी घर मे ये सामान,
गंजीना, सिलबट्टा, छींका,
ओखली, ताख, चिकें,
चक्की, मथनी, मरतबान, उगालदान,
अब इन शब्दों का करता हूँ उच्चारण
तो बड़े अटपटे से लगते हैं मेरी ज़बान पर;
नए बच्चे बड़ी हैरत से सुनकर शब्द
देखते हैं मेरी ओर आश्चर्य भरी नज़रों से!
और भी कई चीज़ों को
उनके नामों के साथ गिनाकर,
उनके अलविदा होने से पहले
याद दिला रहा हूँ,
सुराही, मटका, छागल, चूल्हा-फुँकनी,
सूप, सरोता, पानदान, लालटेन।
इनसे भी रिक्त हो जायेंगे
जब सारे घर तो,
शब्द भी मर जायेंगे,
ख़ामोशी के साथ धीरे-धीरे,
अस्थियों की राख़ के समान,
पड़े रहेंगे कलश में शब्द,
सभी शब्दकोशों में,
एक दिन महाप्रलय की आँधी में,
ये शब्द भी उड़ जायेंगे,
शब्दकोशों की ज़मीन से,
तब शायद सबकुछ रिक्त हो जाएगा,
दूसरी चीज़ों के आने के स्वागत में!!!

हम पैर हैं 

साभार google से

जो निरंतर परदेश से रहते हैं संचालित।
सबको सब जगह ले जाते हैं
और ढोते हैं वज़न, हम पैर हैं ।
लेकिन कभी किसी ने की नहीं परवाह हमारी,
हमको दिया गया दर्जा निम्नता का,
तिरस्कार और अपमान ही आया हिस्से में,
धूप, सर्दी, बरसात कोई भी हो मौसम
कभी रुक गए हों, ऐसा न किया हमने।
कभी फिसल गए तो
गलती हमारी ही बताई गई,
कई मुहावरे और कहावतें बनाए गए हम पर
और फब्तियाँ भी कसी गयीं हम पर।
हम रहे सदा मौन,
तो गूँगा समझ लिया गया हमको,
अपवित्र और हेयता की
सब तोहमतें लाद दीं हम पर।
सब बाख़बर होते हुए भी अनजान रहे हैं हमसे,
हम ही तो आधार हैं,
तुम्हारी ऊँचाई और दिशाओं के,
एक हिस्सा हैं तुम्हारा,
फिर क्यों अधम और अछूत
करार दिया जाता रहा है हमें।

सदी की भाषा को भेंट

नए-नए जुमले और मुहावरे,
पिछले कई महीनों से उछल आए
और रच-बस गए
ज़हन, दिलो-दिमाग़ में,
जनता के,
लेकिन ग़लत परिभाषा के साथ।
भाषा तो समाज गढ़ता है,
लेकिन अब भाषा पर भी अधिकार
सफ़ेद देवताओं या कुछ हरे, कुछ भगवा देवताओं ने जता लिया।
नए-नए जुमलों को उछाला गया हवा में,
एक साज़िश के साथ,
बनाए गए कई बेतुके जुमले और मुहावरे
इस सदी की भाषा को भेंट देने के लिए।
खिलवाड़ हुआ है शब्दों का ऐसे मुँह से,
जिनके जबड़ों के बीच अपनी ज़बान नहीं।
बड़ा बेचैन हूँ मैं,
इस बात को लेकर कि
आज ये जुमले और मुहावरे
जो रच-बस गए हैं जनता के
ज़हन, दिलों-दिमाग़ में,
कल अपना असर दिखाएंगे ज़रूर।
बदल जाएगा ज़हन, दिलो-दिमाग़
जनता का,
क्योंकि रिस रहा है धीरे-धीरे,
एक रसायन विष भरा।
बदल जाएगी भाषा,
आने वाली पीढ़ियों की,
जैसे बदली गई थी साम्राज्य विस्तार के तहत हमेशा।
अब ये काम हमारे चुने हुए
शासक कर रहे हैं,
बड़ी ही चालाकी के साथ।

डॉ0 मोहसिन खान 'तनहा' द्वारा लिखित

डॉ0 मोहसिन खान 'तनहा' बायोग्राफी !

नाम : डॉ0 मोहसिन खान 'तनहा'
निक नाम :
ईमेल आईडी :
फॉलो करे :
ऑथर के बारे में :

अपनी टिप्पणी पोस्ट करें -

एडमिन द्वारा पुस्टि करने बाद ही कमेंट को पब्लिश किया जायेगा !

पोस्ट की गई टिप्पणी -

हाल ही में प्रकाशित

नोट-

हमरंग पूर्णतः अव्यावसायिक एवं अवैतनिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक साझा प्रयास है | हमरंग पर प्रकाशित किसी भी रचना, लेख-आलेख में प्रयुक्त भाव व् विचार लेखक के खुद के विचार हैं, उन भाव या विचारों से हमरंग या हमरंग टीम का सहमत होना अनिवार्य नहीं है । हमरंग जन-सहयोग से संचालित साझा प्रयास है, अतः आप रचनात्मक सहयोग, और आर्थिक सहयोग कर हमरंग को प्राणवायु दे सकते हैं | आर्थिक सहयोग करें -
Humrang
A/c- 158505000774
IFSC: - ICIC0001585

सम्पर्क सूत्र

हमरंग डॉट कॉम - ISSN-NO. - 2455-2011
संपादक - हनीफ़ मदार । सह-संपादक - अनीता चौधरी
हाइब्रिड पब्लिक स्कूल, तैयबपुर रोड,
निकट - ढहरुआ रेलवे क्रासिंग यमुनापार,
मथुरा, उत्तर प्रदेश , इंडिया 281001
info@humrang.com
07417177177 , 07417661666
http://www.humrang.com/
Follow on
Copyright © 2014 - 2018 All rights reserved.