अनीता चौधरी की कलम कविता, कहानी, नाटक जैसी साहित्य की महत्वपूर्ण विधाओं पर सक्रिय है इस कड़ी में आपका एक बाल नाटक ….|
फेसबुक
अनीता चौधरी
दृश्य – 1
(घर का दृश्य, शाम का समय है | पिताजी ऑफिस से आते है और कमरे में आकर बैठ जाते है| पत्नी को आवाज लगाते है
पिताजी ——- नीलू …..(पत्नी से), एक गिलास पानी लाना….. (थोड़ी देर बाद) अरे…. एक गिलास पानी तो दे जाओ |
मां ———- (अन्दर से लड़के को आवाज लगाती है) बेटा रानू ….. अपने पापा को पानी दे देना
रानू ——– मम्मी ….. आप दे दीजिये , मैं इस समय कोपुटर पर बिजी हूँ |
मां ——– (अन्दर से चिल्लाती हुई आती है और पानी का गिलास देते हुए) ये लड़का किसी काम की नहीं सुनता……. जब देखो तब कंप्यूटर पर बैठा रहता है |
पिताजी ——– तुम्हीं बहुत हल्ला मचाया करती थी कि वो शर्मा जी अपने बेटे के लिए नया कंप्यूटर ले आये है….. एक तुम हो कि तुमसे बेटे के लिए पुराना कंप्यूटर भी नहीं खरीदा जाता
माँ ———- मुझे क्या पता थी ……. ये सारा दिन अपनी पढ़ाई- लिखाई छोड़कर इसी पर बैठा रहेगा | मुझे लगा जब शर्माजी खरीद सकते है तो हम क्यों नहीं ?
पिताजी ——– क्या तुमने उसके कमरे में जाकर देखा कि वह क्या कर रहा है या वैसे ही इतना हल्ला मचा रही हो \
मां ———- कंप्यूटर पर वो……. क्या कहते हैं न ……..बुक ……..फेस …..किताब … हाँ फेस की किताब या…… (सोचते हुए) ऐसा ही कुछ कह रहा था |मेरी समझ में नहीं आया |
पिताजी ———(हंसी का ठहाका लगाते हुए) अरे …. पगली फेस बुक कहो ..|
मां ———- (हंसते हुए) हाँ… हाँ….. वही तो मैं कह रही हूँ | वैसे क्या होता है इस पर यह किस काम आती है |
पिताजी ——— ये तो मुझे भी नहीं पता लेकिन इसका नाम सूना है |
दृश्य- २
(शाम का समय है | मां और पिताजी कमरे में बैठे है | पड़ोस के दो बच्चों का प्रवेश)
बच्चा एक—– अंकल रानू है |
पिताजी ——- — हाँ….. है | क्या काम है ?
बच्चा दो ——– थोड़ा कंप्यूटर पर काम था ?
मां ———— रोज तुम्हें काम होता है…… (पति की तरफ इशारा करते हुए ) ये लोग भी उसी के साथ मिलकर कंप्यूटर चलाते रहते है |
पिताजी ——— अच्छा……. इसका मतलब तो तुम भी कंप्यूटर मास्टर हो | चलो ….. इधर आओ मेरे पास | (बच्चे पिता के पास बैठ जाते है और अन्दर से रानू भी आ जाता है|)
बच्चा एक——– अंकल… अंकल हम नहीं, मास्टर तो आपका रानू है |
पिताजी……. अच्छा……. तो रानू बेटा ये बताओ यह फेसबुक क्या बला है | आजकल चारों तरफ इसी की चर्चा है |
रानू ———– पिताजी……. यह एक सोशल साईट है जो इन्टरनेट के द्वारा चलती है यह चलाने में बहुत सरल है इसे कोई भी अनपढ़ व्यक्ति चला सकता है |सिर्फ अपनी मेल आईडी से अकाउंट खोलना पड़ता है |
पिताजी ——- (चौंककर) अकाउंट……. कितने पैसे जमा करने पड़ते है इस अकाउंट में |पर मेरे पास तो …….
बच्चा दो ——- अरे नहीं अंकल……. यह पैसे जमा करने वाला अकाउंट नहीं है |
मां ———- तो फिर ……
रानू ——— हम अपना पूरा नाम व पता लिखकर अपना एक निजी पेज बनाते है | और उस पेज पर हम कुछ भी लिख सकते है |
पिताजी ——– तो बेटा ये बताओ कि हम इस पर काम क्या करते है ……?
रानू …………. इस फेसबुक से दुनिया में जितने भी लोग जुड़े होते हैं उन्हें हम कंप्यूटर पर ही अपना दोस्त बना सकते है | और उनके साथ अपने विचारों का आदान- प्रदान कर सकते है |
बच्चा एक —— हाँ अंकल……. एक और मजे की बात यह है कि इसके जरिये हमें इन्टरनेट की इस नई दुनिया से परिचित होने का मौक़ा मिलता है |
पिताजी ———- अरे……. ये तो बहुत बढ़िया है |
बच्चा दो ——– अंकल ……. अब हम कंप्यूटर पर काम कर लें ?
पिताजी ——— हाँ … हाँ…. बेटा कर लो |
दोनों बच्चे ——- थैंक्यू अंकल ……. (बच्चे अन्दर कमरे में चले जाते हैं| )
दृश्य – 3
(शाम का समय है | माँ चाय लेकर कमरे आती है और बहुत गुस्से में है |)
मां —- देख लो जी …… ये बच्चे फिर जा लगे कंप्यूटर से |
पिताजी — कोई बात नहीं…… बच्चे है …. लगे रहने दो…. अच्छा ही तो है कंप्यूटर चला रहे हैं
बाहर गलियों में आवारा बच्चों की तरह नहीं घूमते है और तुमने सुना नहीं था कल कितनी अच्छी जानकारी दे रहे थे |
मां —— ख़ाक जानकारी दे रहे थे | सारा दिन कंप्यूटर खोलकर सिर्फ दोस्त बनाने के | तुम्हें क्या लगता है….. बिना पढ़े- लिखे इसी फेसबुक से उसका कैरियर बन जाएगा |
पिताजी—— तू इतनी टेंशन क्यों ले रही है ? क्या तू सब विषयों के बारे जानती है | नहीं न… तो फिर किस बात के लिए परेशान होती है…… हो सकता है ये लोग अपना सारा काम कंप्यूटर पर ही करते हों…..
मां ——- तुम नहीं जानते……. वो गुप्ता जी का लड़का इसी क्लास में पढता है…. सारा दिन किताब लेकर पढ़ता रहता है और हर टेस्ट में उसके ए वन ग्रेड आते है |
पिताजी —– अच्छा…… इसका मतलब तो यह हुआ कि तेरे बेटे के नंबर भी उससे अधिक आयें |
माँ ——– और क्या…… जब मिसेज गुप्ता गर्व से अपने बेटे के बारे में बताती है तो मेरी गर्दन शर्म से झुक जाती है कि मेरा बेटा तो हमेशा ही सी ग्रेड ही लेकर आता है |
पिताजी ——- ओह …….तो ये बात……यानी बेटों को अब तुम्हारे लिए पढ़ना है |
(और कमरे में से उठकर चले जाते है)
दृश्य – 4
(पिता अभी ऑफिस से आकर बैठे है| तभी दो पडोसी बडबडाते हुए अन्दर आते है|)
पिता _ आइये शर्माजी …..बैठिये| और आप भी सिंह साहब……|
पडोसी एक _ हाँ… हाँ… हम ऐसे ही ठीक है|
पिता _ कोई बात नहीं…. (आवाज लगाते है|) बेटा रानू…. अंकल के लिए पानी लेकर आओ|
रानू _ जी पापाजी… अभी लाया….|
पडोसी दो _ ( टेस्ट कि कॉपी दिखाते हुए ) ये देखिये…… आपके बेटे की करतूत|
(उनकी आवाज सुनकर माँ का कमरे में प्रवेश|)
पिता _ क्या किया है मेरे बेटे ने ?
पड़ोसी एक _ तुम्हारे लडके कि वजह से हमारे बच्चों के टेस्ट में जीरों नंबर आ रहे है|
पिता _ क्या …… मेरे बेटे कि वजह से ?
पडोसी दो _ हाँ …..
पिता _ कैसे….. ?
पड़ोसी एक _ अपने साथ साथ वो हमारे बच्चों को भी कंप्यूटर पर फेसबुक में बिजी रखता है| जिसकी वजह से वे ज़रा भी नहीं पढ़ रहे है और स्कूल से शिकायत आ रही है|
पिता _ मेरा बेटा आपके बच्चों को बुलाने नहीं जाता…. वो अपनी मर्जी से यहाँ आते है| आपको अपने बच्चों पर कण्ट्रोल रखना चाहिए| जिससे वे मेरे बेटे के पास न आ सके| रही बात फेसबुक चलाने कि तो यह कोई बुरी चीज नहीं है| ये नई तकनीकी है जिससे हम सभी को परिचित होना चाहिए|
पडोसी दो _ आप अपने सलाह मशवरा अपने पास रखिये| हमें ज्यादा समझाने कि जरुरत नहीं है |पता है… हमें क्या करना है|
(दोनों गुस्से से बाहर निकल जाते है| )
माँ ( चिल्लाती हुई )_ अरे…. अरे भाईसाहब…. रूकिये तो सही | ( वे रूकते नहीं है| )
माँ _ (गुस्से में पिता से) मैंने तुमसे से कहा था न…… वो न खुद पढ़ता है और न ही दूसरों को पढने देता है|
पिता _ कंप्यूटर चलाना भी पढ़ाई है……. प्रक्टिकली पढ़ाई|
माँ _ मैंने माना…… कंप्यूटर भी एक प्रक्टिकली पढ़ाई है| लेकिन फेसबुक तो नहीं न…….
पिता _ तुम्हें फेसबुक इतनी बेकार क्यों लगाती है|
माँ _ इसमें ऐसा अच्छा क्या है ? सिर्फ दोस्त बनाने के…….
पिता – इतना अधिक जानना है तो अपने बेटे के साथ कंप्यूटर चलाते वक्त बैठ जाना… समझी…. |
माँ – (गुस्से में) बकवास……. मुझे फेसबुक पसंद नहीं है| ( अन्दर चली जाती है)
दृश्य – 5
(सुबह का समय है| पिताजी अखबार पढ़ रहे है| अधेड़ उम्र का पुरुष और महिला के साथ पांच या छः वर्ष कि एक लड़की आते है| )
आदमी _ (दरवाजे खटखटाते हुए) कोई है क्या….. ?
पिता – नीलू…… देखना गेट पर कौन है……. ?
माँ _ ( अन्दर से आते हुए) छोटे छोटे कामों के लिए मुझे ही आवाज लगाते हो| बेटे से कुछ मत करवाना|
माँ – ( दरवाजा खोलते हुए) हाँ….. बताओ क्या काम है……..?
आदमी _ यह रणवीर सिंह का घर है जो सेंट जोन्स स्कूल में पढता है…… आप उसकी मां है ?
मां –—— जी हाँ …….|
आदमी ——- हमें उससे मिलना है | (अन्दर से पिता की आवाज आती है |)
पिता ——– नीलू…… कौन है ……. किससे बातें कर रही हो ….?
मां ———- (चिल्लाकर) दो लोग है ……… रानू से मिलना चाहते हैं |
पिता ——- अरे तो उन्हें अन्दर ले आओ |
मां ——— आप लोग अन्दर आ जाइए | (वो अन्दर आ जाते है और हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं |)
पिता ——– जी बैठीये, बताये क्या काम है ?
आदमी——- आपका बेटा बहुत ही होशियार और समझदार बच्चा है | (माँ और पिता दोनों एक दूसरे की देखते है |)
माँ-———- ऐसा क्या कर दिया है हमारे बेटे ने, जो तुमको यह होशियार और समझदार दिखता है |
औरत ——– बहिन जी अगर आज आपका बेटा नही होता तो यह मेरी बेटी (सिर पर हाथ फिराते हुए) मुझे कभी नहीं मिल पाती |
माँ ———- (चौंककर) कैसे……..? क्या हो गया था तुम्हारी बेटी को …….. |
औरत ——– आज से एक महीने पहले ये अपने घर के पास खेलते- खेलते दूर निकल गयी थी …… उसके बाद घर वापस नहीं आई | थाणे में गुमशुदी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी लेकिन पुलिस भी कुछ न कर सकी | अब पुलिस को तो तुम जानो ही हो …….
पिता ———- इसने ऐसा क्या कर दिया ?
आदमी ——– हामारे घर के पास एक बच्चा रहता है जो उसकी क्लास में पढता है | उसने आपके बेटे को बताया तो दोनों बच्चे मेरे घर गए और मेरी बेटी का फोटो लेकर आये थे और कहा था कि हम कोशिश करते हैं |
औरत ———-(पिता की तरफ मुखातिफ होकर) भाई साहब मैंने तो सब्र कर लिया था कि अपनी बेटी से कभी नहीं मल पाउंगी |कल दोपहर जब दो व्यक्ति मेरी बेटी को लेकर आये तो हैरान थी कि ये सब कैसे हो गया |
पिता ——— मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम में मेरे बेटे की क्या भूमिका है ?
आदमी ——– पहले आप अपने बेटे को बुलाइए ……. वही बताएगा …..|
माँ ———— (आवाज लगाते हुए) रानू……. ज़रा इधर तो आना……|
रानू ——– जी…. मम्मी जी ….. (उन्हें देखकर) आंटी…. अंकल…. नमस्ते |
पिता ——- बेटा …… ये लोग जानना चाहते हैं कि तुमने इनकी बेटी को कैसे ढूंढा ?
आदमी —— हाँ बेटा …… जो काम पुलिस न कर सकी…….. वो काम तुमने कर दिखाया | कैसे ?
रानू ——— मैंने फेसबुक पर इनकी बेटी की फोटो अपलोड कर दिया था | अपने सभी मित्रों से रिक्वेस्ट की कि वो भी अपने मित्रों से इसे शेयर कर इस लडकी को ढूँढने का प्रयास करें |उन्हीं में से किसी एक व्यक्ति ने इसे अपने पड़ोस में देखा और उन्हें बताया | वो तुरंत आपके पास आने को तैयार हो गए |
औरत ——– उन लोहों को हमारे घर का पता कैसे मिला ?
रानू ———- वो लोग मेरे पास स्कूल गए थे | मैंने ही उनको तुम्हारे घर का पता दिया था |
माँ ——— (आश्चर्य से) फेसबुक से लापता लोगों को भी ढूंढा जा सकता हैं |
रानू ——- इससे फ्री में एस एम एस, फोटो और वीडियो भी भेजे जा सकते है|
आदमी ——- भाई साहब ….. मैं आपका और आपके बेटे का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ|
पिता ——– (माँ से) देखा हमारे बेटी ने कितना भला काम किया है | तुम फिजूल में इतना गिस्सा करती हो |
(माँ बेटे के पास जाती है और उसे नाम आँखों से गले लगा लेती है |)
समाप्त