ये फिल्म नहीं आसान 'ज़ीरो', फिल्म समीक्षा (तेजस पूनिया)

सिनेमा फिल्म-समीक्षा

तेजस पूनिया 595 12/21/2018 12:00:00 AM

 फिल्म के कमजोर और अच्छे पहलू ये हैं कि फिल्म पहले अध्याय यानी फर्स्ट हाफ में जितनी अच्छी बन पड़ी है उतनी ही दूसरे अध्याय यानी सैकेंड हाफ में कमजोर । फिल्म के पहले हिस्से में जितने चुटीले और मजाकिया अंदाज वाले डायलॉग भरे हुए हैं । दूसरे हिस्से में वे सिरे से नदारद है । हालांकि दूसरे हिस्से को भरपूर मात्रा में रोने धोने किस्म का बनाने की कोशिश की गई किन्तु निर्देशक आनंद एल रॉय इसमें नाकाम साबित हुए हैं ।


ये फिल्म नहीं आसान 'ज़ीरो'


एक बौने को अपने जैसी ही एक लड़की से इश्क हो जाता है । और फिर वह उसके लिए वो सब कुछ करता है जो आज कल के लड़के एक लड़की को बिस्तर तक लाने में करते हैं । हालांकि आज कल के लड़के और तथाकथित लडकियाँ चंद रुपए पैसों के लिए या उन पर खर्च किए गए थोड़े से धन से वे अपना तन भी सामने वाले को सौंप देते हैं । झूठे प्यार के वादे और झूठे प्यार की कसमें खाते ऐसे कई युवा मैंने देखे हैं । लाहौल बिला कुवैत ... लाहौल बिला कुवैत । बस यही हाल कुछ फिल्म के साथ भी हुआ है । लेकिन प्यार,  मोहब्बत और नफरत की इस आधी अधूरी कहानी में इसका रूप थोड़ा सा अलग है । बउआ बने शाहरुख आफिया के रूप में अनुष्का शर्मा को रिझाने के लिए होली के दिन रंगों की शानदार बरसात करता है । और उसकी दिली इच्छा पूरी हो जाती है कि वह उसकी तरफ़ आँख भरकर देखना शुरू कर दे । बउआ इसमें सक्सेस हो जाता है और उसके बाद प्यार का नतीजा नौ महीने बाद एक छोटी बच्ची के रूप में सबके सामने आता है । इस बीच बउआ भागता भी रहता है । अपनी जिम्मेदारियों से । वह अपने आप को कोयल बताता है । एक ऐसी कोयल जो अपना घर नहीं बनाती बल्कि दूसरों के घरों में बच्चे छोड़ जाती है । अब बच्चे छोड़ने का दूसरा मतलब आप समझ गए होंगें । नहीं समझें तो भाग कर जाइए और फिल्म देख आइये । और हाँ आफिया का प्यार एक एस्ट्रोनॉट बनकर स्पेस में भी जाता है ।  लेकिन उसके बाद उसे धरती पर आने में 15 साल क्यों लग जाते हैं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी ।

 

फिल्म के कमजोर और अच्छे पहलू ये हैं कि फिल्म पहले अध्याय यानी फर्स्ट हाफ में जितनी अच्छी बन पड़ी है उतनी ही दूसरे अध्याय यानी सैकेंड हाफ में कमजोर । फिल्म के पहले हिस्से में जितने चुटीले और मजाकिया अंदाज वाले डायलॉग भरे हुए हैं । दूसरे हिस्से में वे सिरे से नदारद है । हालांकि दूसरे हिस्से को भरपूर मात्रा में रोने धोने किस्म का बनाने की कोशिश की गई किन्तु निर्देशक आनंद एल रॉय इसमें नाकाम साबित हुए हैं ।


फिल्म का दिलचस्प या कहें अच्छा हिस्सा यह हो सकता है की बउआ सिंह के प्यार में पूरी तरह स्पेस साइंटिस्ट अनुष्का शर्मा का मुब्तिला हो जाना । सेलेब्रल पलसी से ग्रसित एक साइंटिस्ट दसवीं तक पढ़े आदमी के साथ इश्क में इस कदर मुब्तिला हो जाती है जिसे देखकर लगता है कि वाकई इश्क अंधा होता है । लेकिन ठहरिये जनाब ...इसका तोड़ भी फिल्म में नजर आता है जब माफिया ... सॉरी माफ़ कीजिएगा आफिया । क्या करें जी यह नाम ही कुछ इस तरह फिल्म में आपको सुनाई देता है कि माफिया है या आफिया या कोई आफत । खैर मुद्दे की बात यह है कि आफिया को लगता है कि उसमें कुछ कमी है ठीक वैसे जैसे बोने बउआ सिंह में है । तो वह इस कदर खुद को उसके बराबर मान अपने दिल को सांत्वना देती है ।

 

आफिया बनी अनुष्का शर्मा में यदि आप सदी के महान साइंटिस्ट स्टीफेंस हॉकिंग  को खोजने की कोशिश करेंगे तो यह आपकी तर्क शक्ति के लिए घातक हो सकता है । शाहरुख खान का फिल्म में अभिनय उसकी जान है । लेकिन कैटरीना कैफ के अलावा फ़िल्मी सितारों का जमावड़ा कुछ पचता नहीं और यहीं से आप उल्टियाँ करनी शुरू कर सकते हैं । लेकिन फिल्म में रंगों का इस्तेमाल काफ़ी स्तरीय और उच्च स्तर का लगता है । जिसे देखकर काफ़ी राहत और सुकून लिया जा सकता है । वैसे इससे पहले यह प्रयोग ‘ओम शांति ओम’ में किया जा चुका है । फिल्म के गानों की बात करें तो एक गाने को छोड़ बाकि सभी यादगार तो नहीं लेकिन कदम थिरकाने के लिए काफ़ी हैं ।

 

फिल्म में गाने वर्तमान के सबसे बेहतरीन गीतकार इरशाद कामिल के लिखे हैं । सुखविंदर सिंह , अभय जोधपुरकर रजा कुमारी , भूमि  त्रिवेदी दिव्या कुमार सभी की आवाज मिलकर एक सुरमई जादू अवश्य बिखेरती है । फिल्म में स्पेशल गेस्ट के तौर पर दिवंगत श्री देवी को अंतिम बार देखना उनके फैन्स के लिए ही नहीं अपितु हर सिने प्रेमी के लिए एक यादगार लम्हा बन सकता है । अभय देयोल कैटरीना कैफ के बॉयफ्रेंड के रूप में मिलाजुला असर छोड़ते हैं । तो वहीं ब्रिजेन्द्र काला शीबा चड्ढा तिग्माशुं धूलिया खासा प्रभावित नहीं कर पाए । किन्तु फिल्म का सबसे मजबूत किरदार एक बार फिर से मोहम्मद जीशान ने निभाया है । जीशान ने एक बार फिर से साबित किया है कि उनके भीतर वह सिनेमाई गूदा है जिसे देखकर आप भरपूर मनोरंजित हो सकते हैं । ‘तनु वेड्स मनु’ , ‘राँझना’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में बनाने वाले आनंद एल रॉय ने इस बार भारी चूक की है ।


कलाकार – शाहरुख खान , कैटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा

निर्देशक – आनंद एल राय

निर्माता – गौरी खान

 

तेजस पूनिया द्वारा लिखित

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