‘चोक्ड’ पैसा बोलता है : (अभिषेक प्रकाश)

सिनेमा सिनेमा लोक

अभिषेक प्रकाश 1164 6/11/2020 12:00:00 AM

अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित और निहित भावे द्वारा लिखी गई इस फ़िल्म में देश के एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के प्रभाव को परिवार और रिश्तों के तने-बाने में बुनकर ऐसे परोसा गया है जो यह बताती है कि राजनीति से कोई भी और कुछ भी अछूता नही और पैसा कहीं भी हो वह बोलेगा जरूर!

’चोक्ड’ पैसा बोलता है 


चारों ओर अंधेरा हो और उसमें शर्मिला सा झांकता चांद हो, फिर एक मद्धिम सी बहती हवा के बीचोबीच   खिड़कियों से कुछ-कुछ बिखरता सा प्रकाश हो तो फिर कहानी बढ़ती हुई सीढ़ियों तक ही नही पहुंचती बल्कि आहिस्ता से दर्शकों के मन मष्तिष्क में बैठती चली जाती है!

अनुराग कश्यप की फिल्मों के केवल पात्र ही नहीं बोलते बल्कि उन पात्रों के इर्द-गिर्द का माहौल भी अपनी निर्जीवता तोड़कर दर्शकों के दिलो-दिमाग तक पहुंच जाता है। शुरुआत से ही इन सभी चीजों पर निर्देशक द्वारा बखूबी ध्यान दिया गया है। फ़िल्म में कैमरा वैसे  ही घूमता है जैसे हमारी आंखे,जो बिल्कुल वहीं पर जा टिकती हैं जिसको हम देखना चाहते हैं।

खैर अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित और निहित भावे द्वारा लिखी गई इस फ़िल्म में देश के एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के प्रभाव को  परिवार और रिश्तों के तने-बाने में बुनकर ऐसे परोसा गया है जो यह बताती है कि राजनीति से कोई भी और कुछ भी अछूता नही और पैसा कहीं भी हो वह बोलेगा जरूर!

जीत और हार का हमारे मनोविज्ञान पर गहरा असर पड़ता है। एक सफल व्यक्ति और एक असफल व्यक्ति के निर्णय पर इस मनोविज्ञान का गहरा असर होता है । इस फ़िल्म की नायिका सरिता पिल्लई(सयामी खेर) का जो एक स्टेज शो में गा नही पाती और वहीं दूसरी ओर डिमोनीटाइज़ेशन जैसा निर्णय ले पाने में प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास दोनो के हार-जीत की पृष्ठभूमि से ही निकल पाती है।

खैर पैसा के न होने से ज़िन्दगी कैसे चोक हो जाती है यह सुशांत,सरिता,ताई सबके औऱ बैंक के पंक्तियों में खड़े लोगो से पता चल जाता है।

पति-पत्नी और रोजगार ये अलग ही माहौल बनाए हुए है , अपने अभिनय से सयामी और रोशन दोनों ने ऐसा प्रभाव बनाया है जैसे लगता है कि अपने बेडरूम में झगड़ा हो रहा हो! एक मराठी पड़ोसी के रूप में अमृता सुभाष  का चयन अनुराग ने बहुत संजीदगी से किया है। अनुराग ने अपने एक साक्षात्कार में कहा भी है कि उन्हें एक ऐसे पात्र की जरूरत थी जो मराठी माहौल में पला बढ़ा हो। इस किरदार के साथ  ताई के रूप में अमृता ने पूरी तरह न्याय किया है। 

फ़िल्म में पैसे का पाइप के माध्यम से ऊपर से नीचे आना और चोक हो जाने से उसका सिंक से लेकर नीचे नाली तक निकलने और उसको तीनों फ्लोर के लोग द्वारा पाए जाने के बाद भी किसी को न बताना 'पैसे' के चरित्र या फिर यह कहिए समाज में धन को लेकर आदमी के व्यवहार को दिखाता है। पैसे के नाली में बहने को दिखाकर अप्रत्यक्ष रूप से एक राजनीतिक व्यंग्य किया गया है।

कुल मिलाकर फ़िल्म बनाने और देखने वाले के दृष्टिकोण में साम्यता हो कोई जरूरी नही । अनुराग प्रयोग करते रहते हैं इस फ़िल्म को उसी क्रम में ही देखना चाहिए।

- सभी प्रयुक्त फ़ोटो google से साभार 

अभिषेक प्रकाश द्वारा लिखित

अभिषेक प्रकाश बायोग्राफी !

नाम : अभिषेक प्रकाश
निक नाम :
ईमेल आईडी :
फॉलो करे :
ऑथर के बारे में :

लेखक, फ़िल्म समीक्षक

पूर्व में आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत ।

वर्तमान में-  डिप्टी सुपरटैंडेंट ऑफ़ पुलिस , उत्तर प्रदेश 

संपर्क- prakashabhishek21@gmail.com

अपनी टिप्पणी पोस्ट करें -

एडमिन द्वारा पुस्टि करने बाद ही कमेंट को पब्लिश किया जायेगा !

पोस्ट की गई टिप्पणी -

हाल ही में प्रकाशित

नोट-

हमरंग पूर्णतः अव्यावसायिक एवं अवैतनिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक साझा प्रयास है | हमरंग पर प्रकाशित किसी भी रचना, लेख-आलेख में प्रयुक्त भाव व् विचार लेखक के खुद के विचार हैं, उन भाव या विचारों से हमरंग या हमरंग टीम का सहमत होना अनिवार्य नहीं है । हमरंग जन-सहयोग से संचालित साझा प्रयास है, अतः आप रचनात्मक सहयोग, और आर्थिक सहयोग कर हमरंग को प्राणवायु दे सकते हैं | आर्थिक सहयोग करें -
Humrang
A/c- 158505000774
IFSC: - ICIC0001585

सम्पर्क सूत्र

हमरंग डॉट कॉम - ISSN-NO. - 2455-2011
संपादक - हनीफ़ मदार । सह-संपादक - अनीता चौधरी
हाइब्रिड पब्लिक स्कूल, तैयबपुर रोड,
निकट - ढहरुआ रेलवे क्रासिंग यमुनापार,
मथुरा, उत्तर प्रदेश , इंडिया 281001
info@humrang.com
07417177177 , 07417661666
http://www.humrang.com/
Follow on
Copyright © 2014 - 2018 All rights reserved.