पंचायत : वेब सीरीज (अभिषेक प्रकाश)

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अभिषेक प्रकाश 1160 6/17/2020 12:00:00 AM

इतनी जटिल हो चुकी ज़िन्दगी में सहजता को बटोरकर अपनी बात कह देना ही विशेषता है |

  • सिकड़ी तो बाद की बात है यहां तो दूल्हा सात पीस मिठाई के पैकेट नही मिलने से रूठ गया है,मिठाई भी वह जिसमें चमकोई लगी थी ! बराती-घराती में फर्क तो दिखना चाहिए न भाई !
  • इधर सचिव जी रूठे हैं कि पहले तो पढ़े नही और जब पढ़ना चाह रहे हैं तो ई सब पढ़ने नही देते! आंखों में आंसू लिए बेचारे पलक तक नही गिरने देते लेकिन ई दूल्हा पहले तो नई कुर्सी पर बैठा और अब उनकी नई कुर्सी पर लगे पन्नी को फाड़ना चाह रहा है !
  •  परधान जी दूध के साढे सात सौ रुपये के लिये घर में आंदोलन कर रखी हैं। उधर प्रधानपति घर मे चाहे जितना भी आंदोलन हो जाए एक टिपिकल पति की तरह मेहमान को खाने पर बुलाने से परहेज नही करते !
  • सब कुछ साधारण और सहज,बिना किसी बड़े षड्यंत्र और बिना किसी बड़े उद्देश्य के चल रही है।
  • प्रह्लाद समर्पित कार्यकर्ता है ,मटका सिल्क का कुर्ता पहने मुंह मे खैनी दबाए, गांव के दो चार लोग पर धाक जमाकर रखने भर में ही उसके ज़िन्दगी की सार्थकता है। विकास जस नाम वैसा काम की तरह दूसरे के तरक्की में ही अपनी तरक्की देखता है। दारू पीने के व्हाट्सएप ग्रुप का सह संयोजक बनकर अपनी ज़िंदगी को परहित के लिए स्वाहा कर चुका है।
  • दरोगा जी हो डीएम साहब सब अपने टशन में है। गांव-घर के पंचायत से लोकतंत्र के पंचायत तक की छोटी-छोटी कहानी को चन्दन कुमार ने अपने कलम से तो दीपक कुमार मिश्रा ने अपने निर्देशन से बांध दिया है। बाकी अभिनय सबकी कमाल की तो है ही।
  • कहने का मतलब है कि इस सीरीज में कुछ भी असाधारण नही है, कुछ भी चरम नही। इस सीरीज का सौंदर्य इसका साधारण होना ही है।
  • हाल के दिनों में कई ऐसी सीरीज़ आई जो बहुत पसंद की गई, उसके पीछे कही न कही एक सेक्स और हिंसा का एक्सट्रीम होना रहा। लेकिन पंचायत में ऐसा कुछ भी नही है। कही कोई भी तत्व या चरित्र ऐसा नही रहा जो एक्सट्रीम को जीता हो।
  • सहजता,सरलता और सामान्य बने रहना ही जीवन का सबसे बड़ा सौंदर्य है। यही इस सीरीज की सबसे खास बात है। इतनी जटिल हो चुकी ज़िन्दगी में इस सहजता को बटोरकर अपनी बात कह देना इस सीरीज के स्क्रिप्ट और निर्देशन की सबसे बड़ी खूबी रही।
  • कभी कभी ऐसी चीज़ों को भी देखना समझना चाहिए जो बड़ी बात न करती हो, जिसमें  कुछ खास न दिखता हो,जो किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा न हो, जो किसी महान कथा का हिस्सा न हो, जो महान दावे न करती हो, जो दुनिया बदलने का दावा न करती हो ! कभी कभी कुछ न होना भी बहुत कुछ होना होता है ! 

अभिषेक प्रकाश द्वारा लिखित

अभिषेक प्रकाश बायोग्राफी !

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लेखक, फ़िल्म समीक्षक

पूर्व में आकाशवाणी वाराणसी में कार्यरत ।

वर्तमान में-  डिप्टी सुपरटैंडेंट ऑफ़ पुलिस , उत्तर प्रदेश 

संपर्क- prakashabhishek21@gmail.com

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