पहला सुख निरोगी काया…. (अनीता चौधरी)

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अनीता 307 11/17/2018 12:00:00 AM

पहला सुख निरोगी काया…. (अनीता चौधरी)

पहला सुख निरोगी काया….

मैं पीछे क्यों रहूँ

अनीता चौधरी

विश्व जनसंख्या की दृष्टि में दूसरा स्थान रखने वाला देश भारत जिसकी आबादी लगभग एक अरब इक्कीस करोड़ है | जिसकी मूलभूत आवश्यकताओं में से स्वास्थ्य की सेवाओं को अलग करके नही देख सकते इसी लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराना हमारी सरकार की जिम्मेदारी में शामिल होता है | लेकिन बिडम्बना है कि सरकार कोई भी आ जाये लेकिन इस विषय पर सरकार के बजट में इजाफा दिखाई नहीं  देता है |

पिछले दिनों देश के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ने राज्यसभा में स्वीकार किया था कि देश भर में 14 लाख डॉक्टर्स की कमी है जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप चिकित्सक और मरीज के अनुपात में कम है | आज हमारी सरकार के पास जनसंख्या के मुताबिक़ देश में प्रशिक्षित चिकित्सक नहीं हैं और जो है उनमें से कुछ तो सरकार के नुमाइंदे हैं जो संवैधानिक मानकों के अनुसार तय वक्त को सार्वजनिक अस्पताल की वजाय अपने निजी अस्पताल या क्लीनिक्स पर ही देते है | और जो सरकार के नौकर नहीं वे अपने अस्पताल खोलकर आम जन को लूटने बैठे हैं | इन सबका परामर्श शुल्क (150 रुपये से लेकर 1000 तक) ही इतना होता है और साथ में एक जांच भी अनिवार्य होती है जो कि 250 से लेकर 1000 से भी ऊपर जा सकती है और साथ ही कम अज कम 400 रुपये की दवा भी होती है | एक मजदूर जिसकी मासिक आय 5000 रुपये हो, कैसे अपना इलाज कराये  | इतना खर्च सिर्फ सामान्य बुखार आने पर होता है | साधारण सी बात है कि एक मजदूरी करने वाला आदमी जिसके काम की निश्चिंतता न हो, इतना महंगा इलाज कैसे करा सकता है | ऐसे में उसके पास छोटी सी दुकानों में बैठे अप्रशिक्षित चिकित्सकों के पास जाने के सिवा कोई चारा ही नहीं होता है | और ये डॉक्टर्स सामान्य सी छोटी-मोटी बीमारियों का बाहुत ही कम रुपयों में इलाज कर देते हैं | ये डॉक्टर्स लगभग हर गली-कूचे, शहर, कस्बें या गाँव में दिख जाते है | जो देश की बहुत बड़ी आबादी को सस्ते इलाज के चलते भयंकर बीमारियों से बचाने का सफल असफल प्रयास करते हैं | उन पर आये दिन सी० एम० ओ० के छापे पड़ते हैं जिसके कारण ये डॉक्टर्स या तो आपना क्लीनिक बंद कर देते हैं या फिर एक मोटी रकम उन्हें देकर अपना क्लीनिक चलाने को विवश होते हैं | जिसकी वजह से वह भी अपना इलाज महंगा कर देते हैं | जबकि भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली साठ प्रतिशत आबादी इन्ही डॉक्टर्स पर निर्भर हैं | आज मेक इन इंडिया बनने वाले भारत में अगर ये डॉक्टर्स न हो तो देश की स्थिति क्या होगी ? और ऐसे में उन लोगों का क्या होगा जो गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन यापन कर रहे हैं | आज भी जनता को बीमार होने पर पूरी तरह से अपनी जेब पर ही निर्भर रहना पड़ता है जिसमें कई बार पैसा न होने की स्थिति में करीब २० प्रतिशत लोगों को अपनी जमीन और सामान बेचकर इलाज कराना पड़ता है

देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य की सेवायें पूरी तरह से मुफ्त नहीं हुई है और जो है उनकी हालत अच्छी नहीं है | भारत में आबादी के अनुसार प्रशिक्षित चिकित्सकों की भारी कमी लगातार महसूस हो रही है | जनता के स्वास्थ्य का आकलन देश में उपलब्ध डॉक्टर्स की संख्या और अस्पतालों की उपलब्धता से होता हैं | अमेरिका में जहाँ 300 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर और लगभग प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति 5711 डॉलर, स्विटजरलैंड में 3847 डॉलर, जर्मनी में 2983 डॉलर तथा कनाडा में 2998 डॉलर खर्च किया जाता है जबकि वहीँ भारत में 2000 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर और लगभग 1377 रुपये प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति ही खर्च किये जाते है | इन आकड़ों से पता चलता है कि भारत स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वालों देश है | सन 1985- 86 में भारत स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पादन का 1.5 प्रतिशत  खर्च किया जाता था जो कि अब घटकर 0.9 कर दिया है |

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ हेल्थ इंटेलीजेंस के एक अध्ययन के अनुसार भारत में लगभग 5,40,330 बिस्तर हैं | यदि हम लगभग वर्मान जनसंख्या को एक अरब इक्कीस करोड़ मानें तो प्रति 2239 व्यक्तियों के लिए सिर्फ एक ही बिस्तर उपलब्ध हो पाता है | जबकि अफ्रीका में 1000 व्यक्तियों के लिए तथा यूरोप में 159 व्यक्तियों के लिए एक बिस्तर का इंतजाम होता है |

वर्तमान सरकार का नेतृत्व जनस्वास्थ्य को लेकर कितना सजग है यह सरकार द्वारा अपने नागरिकों के लिए स्वास्थ्य पर खर्च से पता चलता है अमेरिका के नक़्शे कदम पर चलने वाला देश भारत स्वास्थ्य पर 0.9 प्रतिशत ही खर्च करता है जबकि वहीं अमेरिका अपने सकल घरेलू उत्पादन का 16 प्रतिशत तक खर्च करता है और अन्य देशों में जैसे कनाडा 10 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया 9.2 प्रतिशत, जापान 8 प्रतिशत, इंग्लेंड 7.8 प्रतिशत, फ़्रांस 10.4 प्रतिशत खर्च स्वास्थ्य सेवाओं पर करते हैं | इन आंकड़ों से पता चलता है भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति क्या है |

वर्तमान तकनीकी के समय में भी हमारे देश के बहुत ऐसे जिले हैं | जहाँ पर एम आर आई तथा सीटी स्केन आदि बड़ी जांच नहीं हो पाती और बीमारियों के स्पेशलिस्ट जैसे – न्यूरो सर्जन हार्ट स्पेशलिस्ट हार्ट सर्जन तथा नेफ्रोलाजिस्ट आदि केवल कुछ ही चुनी हुई जगह पर ही मिल पाते है |

स्वास्थ्य सेवाओं का मतलब सिर्फ बीमारियों को ठीक करना ही नहीं है | बल्कि  बढ़िया इलाज के साथ-साथ उनके लिए शुद्ध वातावरण, पीने का पानी और समुचित सौचालय की व्यवस्था कराने के साथ ही वक्त वक्त पर उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कैम्प लगाकर अवेयर करने की भी आवश्यकता है | आज भी देश की 90 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी और 60 प्रतिशत से जयादा लोगों के पास शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं है | जिसकी वजह से यह भयंकर बीमारियां पैदा होती है | हम भारत को डिजिटल तो बनाने की और अग्रसर है जिसमें स्मार्ट सिटी से लेकर ग्रामीण इलाकों के लिए सिर्फ जन धन, आधार और मोबाइल नम्बर को जोड़कर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का खाका खींचना भी शामिल है लेकिन इससे पहले सरकार को लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है |

इन सारी परिस्थितियों पर नजर डालें तो स्थिति भयाभय लगती है | दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में इलाज करने वाले अप्रशिक्षित चिकित्सकों पर शिकंजा कसने की बजाय अगर उनको समय- समय पर प्रशिक्षित किया जाए तो शायद यह बड़ी समस्या कुछ हल्की हो सके |

मैं यहाँ अप्रशिक्षित डॉक्टर्स के पक्ष में कतई नहीं हूँ कि देश में इलाज इनके द्वारा संभव हो | लेकिन इन्हें हटाने के बाद क्या हमारे पास इनके विकल्प मौजूद है ? जैसा कि हमारे स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री पहले ही देश में 14 लाख डॉक्टर्स की कमी को स्वीकार कर चुके है | लेकिन अस्पतालों की स्थिति और जो आकडे हमारे सामने मौजूद है उन्हें देखकर लगता है कि शायद ये 14 लाख डॉक्टर्स भी इसकी भरपाई नहीं कर सकेंगे |ऐसे में हमें विचार-विमर्श कर विकल्प खोजने की आवश्यकता है कि इस यथास्थिति से कैसे निकला जाए जिससे देश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ एक समान मिल सकें |

अनीता द्वारा लिखित

अनीता बायोग्राफी !

नाम : अनीता
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अनीता चौधरी 
जन्म - 10 दिसंबर 1981, मथुरा (उत्तर प्रदेश) 
प्रकाशन - कविता, कहानी, नाटक आलेख व समीक्षा विभिन्न पत्र-पत्रकाओं में प्रकाशित| 
सक्रियता - मंचीय नाटकों सहित एक शार्ट व एक फीचर फ़िल्म में अभिनय । 
विभिन्न नाटकों में सह निर्देशन व संयोजन व पार्श्व पक्ष में सक्रियता | 
लगभग दस वर्षों से संकेत रंग टोली में निरंतर सक्रिय | 
हमरंग.कॉम में सह सम्पादन। 
संप्रति - शिक्षिका व स्वतंत्र लेखन | 
सम्पर्क - हाइब्रिड पब्लिक  स्कूल, दहरुआ रेलवे क्रासिंग,  राया रोड ,यमुना पार मथुरा 
(उत्तर प्रदेश) 281001 
फोन - 08791761875 

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