फैसला: कहानी (मैत्रेयी पुष्पा) 
                                                                    मैत्रेयी पुष्पा  14588 12/3/2021 11:12:00 AM 
                                                                    संटी उठाकर जोर से बोलने लगी,  सब जनी सुनो, सुन लो कान खोल कें! बरोबरी का जमाना आ गया। अब ठठरी बंधे मरद माराकूटी करें, गारी-गरौज दें, मायके न भेजें, पीहर से रुपइया-पइसा मंगवावें, क्या कहते हैं कि दायजे के पीछें सतावें, तो बैन सूधी चली जाना बसुमती के ढिंग।
लिखवा देना कागद। करवा देना नठुओं के जेहल।