'मुनीश तन्हा' की गज़लें 
 1.
रोज चेहरा छुपा रहा है कोई 
फासला यूँ बढ़ा रहा है कोई 
ये मुहब्बत मियाँ अजब चुम्बक 
दिल जला के बता रहा है कोई 
लूट उसको बता कहाँ जाती 
ज़िन्दगी आइना रहा है कोई 
साथ सब प्यार से रहें भाई 
मांगता ये दुआ रहा है कोई 
तजकिरा प्यार पे करो लेकिन 
सोच ले वास्ता रहा है कोई 
फूट धारा पड़ी पहाडों से 
जल नदी सिलिला रहा है कोई 
2.
शक्लो  सूरत  से  हू  ब हू है वही
कैसे  कर  लूँ  यकीं  मैं तू है वही
वो  छुपा  है  कहाँ  पता तो चले
थक  गए  ढूंढ  जुस्तजू  है  वही
चौक  पहचान कर  सनम बोले
आइए  साथ - साथ  कू है  वही
मैं  इधर  ही  जनाब  रहता   हूँ
इसलिए  जानता  हूँ  बू  है वही
फैलता ही       गया है कोरोना
हर घड़ी रोज    गुफ्तगू है वही
काम जिसको नहीं कोई "तन्हा "
आदमी देख      फ़ालतू है वही
3.
याद के बादल हैं छाए दिल चहकने है लगा
प्यार के आगोश में मौसम बदलने है लगा
मतलबी      रिश्ते हुए हैं आजकल के दौर में 
काम निकला  खत्म अपनापन अखरने है लगा
सख़्त तेवर के लिए  मशहूर था जो आदमी
आंच पाई प्यार की तो वो पिघलने है लगा
है गुज़ारी रात गम की हमने प्यारे इस तरह
दर्द आँसू आह से कमरा महकने है लगा
कर्म का फल देख मिलता गम मिले या फिर खुशी
याद जिसको       आ गया रब वो उभरने है लगा
सच शिकारी सा छुपा है मन के भीतर झांक लो
झूठ उड़ने को हुआ तो पर कतरने है लगा
4.
कब फकीरों की दुआओं से असर जाते हैं
बे यकीं       लोग निगाहों से उतर जाते हैं
फ़िक्र अपनी न करी हमने कभी यूं फिर भी 
आप ने प्यार         से देखा तो संवर जाते हैं
जुर्म  ईमान              में आंसू न बहाए कैसे
गर्द चेहरे         पे लिए पापी तो घर जाते हैं
वक़्त आया  है खरा तो भी मिला लो आंखें
जो चुराते       हैं नजर फ़िक्र से मर जाते हैं
लोग आते हैं   मनाने को   जहाँ पे खुशियां    
हम तो उस   राह से चुपचाप गुज़र जाते है
वो रुलाते हैं           हँसाते हैं मनाते "तन्हा"
प्यार करते हैं जो     मौके पे मुकर जाते हैं 
5.
खुदा के प्यार का रास्ता रहा हूँ 
मुहब्बत में सदा सच्चा रहा हूँ 
तुम्हें अब याद भी शायद नहीं है 
कभी पर रात दिन मिलता रहा हूँ 
खुदा  तो आइना है ज़िन्दगी का 
यही बस सोचकर अच्छा रहा हूँ 
मेरा महबूब मालिक है सदा से 
उसी के वास्ते ज़िन्दा रहा हूँ 
अभी तक हूँ सभी से देख आगे 
समय के साथ मैं चलता रहा हूँ 
जिसे सब देख कर उंगली उठाएं 
कभी ऐसा भी मैं रिश्ता रहा हूँ
करे कैसे न "तन्हा"याद दुनिया
बना दीपक सदा जलता रहा हूँ