फैसला: कहानी (मैत्रेयी पुष्पा)
मैत्रेयी पुष्पा 8005 12/3/2021 11:12:00 AM
संटी उठाकर जोर से बोलने लगी, सब जनी सुनो, सुन लो कान खोल कें! बरोबरी का जमाना आ गया। अब ठठरी बंधे मरद माराकूटी करें, गारी-गरौज दें, मायके न भेजें, पीहर से रुपइया-पइसा मंगवावें, क्या कहते हैं कि दायजे के पीछें सतावें, तो बैन सूधी चली जाना बसुमती के ढिंग।
लिखवा देना कागद। करवा देना नठुओं के जेहल।